ऐसे सुलग उठा तिरी यादों से दिल मिरा
जैसे धधक उठें कहीं जंगल चिनार के
Gulzar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(719) Peoples Rate This
जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं
शाम आई है लिए हाथ में यादों के चराग़
मेरे अंदर जो इक फ़क़ीरी है
यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए
वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी
सहरा-ए-ला-हुदूद में तिश्ना-लबी की ख़ैर
फ़न जो मेआ'र तक नहीं पहुँचा
हम भी गुज़र गए यहाँ कुछ पल गुज़ार के
अश्कों से कब मिटे हैं दामन के दाग़ यारो
हर ख़ुदा जन्नतों में है महदूद
लगा के धड़कन में आग मेरी ब-रंग-ए-रक़्स-ए-शरर गया वो