कौन आता है इस ख़राबे में
इस ख़राबे में कौन आता है
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सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
रह गया दिल में इक दर्द सा
ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए
ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
किसी की क़ैद से आज़ाद हो के रह गए हैं
जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब
और तो ख़ैर क्या रह गया
ये उदासी का सबब पूछने वाले 'अजमल'