रह गया दिल में इक दर्द सा
दिल में इक दर्द सा रह गया
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मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई
हम अपने-आप में रहते हैं दम में दम जैसे
बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा
जो कल हैरान थे उन को परेशाँ कर के छोड़ूँगा
कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
वही बे-बाकी-ए-उश्शाक़ है दरकार अब भी
गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी
अब आप ख़ुद ही बताएँ ये ज़िंदगी क्या है
'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
तेरे सिवा किसी की तमन्ना करूँगा मैं
लोग जीते हैं किस तरह 'अजमल'