ठहर गया है दिल का जाना
दिल का जाना ठहर गया है
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दीवार याद आ गई दर याद आ गया
लोग जीते हैं किस तरह 'अजमल'
जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
किसी की क़ैद से आज़ाद हो के रह गए हैं
घूम-फिर कर इसी कूचे की तरफ़ आएँगे
कौन आता है इस ख़राबे में
सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी
'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
बुझ गया रात वो सितारा भी