मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई
मिरा वजूद समझ लीजिए अदम जैसे
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किसी की क़ैद से आज़ाद हो के रह गए हैं
तेरे सिवा किसी की तमन्ना करूँगा मैं
बुझ गया रात वो सितारा भी
बताओ तुम से कहाँ राब्ता किया जाए
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल'
मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है
सुनी है चाप बहुत वक़्त के गुज़रने की
नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम
दीवार याद आ गई दर याद आ गया
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
शाम अपनी बे-मज़ा जाती है रोज़