किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है
किसे बताएँ हमारा जो हाल हो गया है
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रह गया दिल में इक दर्द सा
'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं
और तो ख़ैर क्या रह गया
बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल'
कौन आता है इस ख़राबे में
हम अपने-आप में रहते हैं दम में दम जैसे
ठहर गया है दिल का जाना
मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई
बुझ गया रात वो सितारा भी
पेश जो आया सर-ए-साहिल शब बतलाया
ये जो हम खोए खोए रहते हैं