मैं ने ऐ दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है
और तू है कि मिरी जान को आया हुआ है
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जो कल हैरान थे उन को परेशाँ कर के छोड़ूँगा
दीवार याद आ गई दर याद आ गया
मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई
अब आप ख़ुद ही बताएँ ये ज़िंदगी क्या है
पेश जो आया सर-ए-साहिल शब बतलाया
बुझ गया रात वो सितारा भी
कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए
ज़िंदगी हम से चाहती क्या है
ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा
और तो ख़ैर क्या रह गया
शाम अपनी बे-मज़ा जाती है रोज़