Ghazals of Akhtar Hoshiyarpuri (page 2)

Ghazals of Akhtar Hoshiyarpuri (page 2)
नामअख़्तर होशियारपुरी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Hoshiyarpuri
जन्म की तारीख1918
मौत की तिथि2007
जन्म स्थानRawalpindi

किसे ख़बर जब मैं शहर-ए-जाँ से गुज़र रहा था

ख़्वाहिशें इतनी बढ़ीं इंसान आधा रह गया

ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है

जो मुझ को देख के कल रात रो पड़ा था बहुत

हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं

होंटों पे क़र्ज़-ए-हर्फ़-ए-वफ़ा उम्र भर रहा

हरीफ़-ए-दास्ताँ करना पड़ा है

हर्फ़-ए-बे-आवाज़ से दहका हुआ

इक नूर था कि पिछले पहर हम-सफ़र हुआ

एक हम ही तो नहीं आबला-पा आवारा

दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा

दश्त-दर-दश्त अक्स-ए-दर है यहाँ

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

चेहरे के ख़द्द-ओ-ख़ाल में आईने जड़े हैं

बारहा ठिठका हूँ ख़ुद भी अपना साया देख कर

बजा कि दुश्मन-ए-जाँ शहर-ए-जाँ के बाहर है

अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता

अपना साया भी न हम-राह सफ़र में रखना

आँधी में चराग़ जल रहे हैं

आग चूल्हे की बुझी जाती है

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