Heart Broken Poetry of Akhtar Shumar

Heart Broken Poetry of Akhtar Shumar
नामअख्तर शुमार
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shumar
जन्म की तारीख1960

तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल

मैं ज़िंदगी के सफ़र में था मश्ग़ला उस का

मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने

अभी सफ़र में कोई मोड़ ही नहीं आया

या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता

उस की चाह में नाम नहीं आने वाला

उस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं

तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है

सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन

सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़

लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया

ख़्वाहिश-ए-जादा-ए-राहत से निकलता कैसे

हिसार-ए-क़र्या-ए-खूँबार से निकलते हुए

अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं

अख्तर शुमार Heart Broken Poetry in Hindi - Read famous Heart Broken Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अख्तर शुमार. Largest collection of Heart Broken Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अख्तर शुमार. Share the अख्तर शुमार Heart Broken Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.