Ghazals of Akhtar Shumar

Ghazals of Akhtar Shumar
नामअख्तर शुमार
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shumar
जन्म की तारीख1960

ज़रा सी देर थी बस इक दिया जलाना था

या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता

उस की चाह में नाम नहीं आने वाला

उस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं

तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है

सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन

सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़

पड़े थे हम भी जहाँ रौशनी में बिखरे हुए

लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया

ख़्वाहिश-ए-जादा-ए-राहत से निकलता कैसे

हिसार-ए-क़र्या-ए-खूँबार से निकलते हुए

ऐ दुनिया तेरे रस्ते से हट जाएँगे

अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं

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