Love Poetry of Akhtar Shumar

Love Poetry of Akhtar Shumar
नामअख्तर शुमार
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shumar
जन्म की तारीख1960

वो मुस्कुरा के कोई बात कर रहा था 'शुमार'

मैं ज़िंदगी के सफ़र में था मश्ग़ला उस का

ज़रा सी देर थी बस इक दिया जलाना था

या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है

वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता

उस की चाह में नाम नहीं आने वाला

उस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं

सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़

पड़े थे हम भी जहाँ रौशनी में बिखरे हुए

लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया

ख़्वाहिश-ए-जादा-ए-राहत से निकलता कैसे

ऐ दुनिया तेरे रस्ते से हट जाएँगे

अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं

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