अभी सफ़र में कोई मोड़ ही नहीं आया
निकल गया है ये चुप-चाप दास्तान से कौन
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Gulzar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1386) Peoples Rate This
अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं
सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन
वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता
तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल
तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है
ऐ दुनिया तेरे रस्ते से हट जाएँगे
लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने
ज़रा सी देर थी बस इक दिया जलाना था
उस की चाह में नाम नहीं आने वाला
सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़
पहाड़ भाँप रहा था मिरे इरादे को