पहाड़ भाँप रहा था मिरे इरादे को
वो इस लिए भी कि तेशा मुझे उठाना था
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ऐ दुनिया तेरे रस्ते से हट जाएँगे
सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन
लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया
मैं ज़िंदगी के सफ़र में था मश्ग़ला उस का
वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता
सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़
अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं
अब तो हाथों से लकीरें भी मिटी जाती हैं
मिरी निगाह की वुसअत भी इस में शामिल कर
मुद्दतों में आज दिल ने फ़ैसला आख़िर दिया
अभी सफ़र में कोई मोड़ ही नहीं आया