मुद्दतों में आज दिल ने फ़ैसला आख़िर दिया
ख़ूब-सूरत ही सही लेकिन ये दुनिया झूट है
Anwar Masood
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अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं
मेरी रुस्वाई अगर साथ न देती मेरा
तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल
मैं ज़िंदगी के सफ़र में था मश्ग़ला उस का
उस की चाह में नाम नहीं आने वाला
वो जिस का अक्स लहू को जगा दिया करता
सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन
वो मुस्कुरा के कोई बात कर रहा था 'शुमार'
या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है
उस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं
लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया
मिरी निगाह की वुसअत भी इस में शामिल कर