Ghazals of Akram Naqqash

Ghazals of Akram Naqqash
नामअकरम नक़्क़ाश
अंग्रेज़ी नामAkram Naqqash
जन्म स्थानGulbarga

टूटी हुई शबीह की तस्ख़ीर क्या करें

तू साथ है मगर कहीं तेरा पता नहीं

क़रार-ए-गुम-शुदा मेरे ख़ुदा कब आएगा

मैं नहीं हूँ नहीं कहीं भी नहीं

लहू तेज़ाब करना चाहता है

कुछ फ़ासला नहीं है अदू और शिकस्त में

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

कोई इल्ज़ाम मेरे नाम मेरे सर नहीं आया

खुली और बंद आँखों से उसे तकता रहा मैं भी

हैरत से देखता हुआ चेहरा किया मुझे

हैरत के दफ़्तर जाऊँ

हब्स-ए-दरूँ पे जिस्म-ए-गिराँ-बार संग था

गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

दश्त को ढूँडने निकलूँ तो जज़ीरा निकले

ब-रंग-ए-ख़्वाब मैं बिखरा रहूँगा

ऐ अब्र-ए-इल्तिफ़ात तिरा ए'तिबार फिर

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