Sad Poetry of Alamtaab Tishna

Sad Poetry of Alamtaab Tishna
नामआलमताब तिश्ना
अंग्रेज़ी नामAlamtaab Tishna
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि1991
जन्म स्थानKarachi

ये कहना तुम से बिछड़ कर बिखर गया 'तिश्ना'

मैं जब भी घर से निकलता हूँ रात को तन्हा

उठते हुए तूफ़ान का मंज़र नहीं देखा

सिवाए-दर-ब-दरी उस को ख़ाक मिलता है

शिकस्त-ए-शीशा-ए-दिल की सदा हूँ

सफ़र में राह के आशोब से न डर जाना

मिरी दस्तरस में है गर क़लम मुझे हुस्न-ए-फ़िक्र-ओ-ख़याल दे

मैं अपनी जंग में तन-ए-तन्हा शरीक था

दर्द की इक लहर बल खाती है यूँ दिल के क़रीब

असीर-ए-दश्त-ए-बला का न माजरा कहना

आइना-ख़ाना भी अंदोह-ए-तमन्ना निकला

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