कोई देखे तो मेरी नय-नवाज़ी
नफ़स हिन्दी, मक़ाम-ए-नग़्मा-ताज़ी
निगह आलूदा-ए-अंदाज़-ए-अफ़रंग
तबीअ'त ग़ज़नवी, क़िस्मत अयाज़ी
Gulzar
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अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
न मोमिन है न मोमिन की अमीरी
हिमाला
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
मानिंद-ए-सहर सेहन-ए-गुलिस्ताँ में क़दम रख
फ़रिश्ते आदम को जन्नत से रुख़्सत करते हैं
ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी
जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी