बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा
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जवानों को मिरी आह-ए-सहर दे
फ़ितरत ने न बख़्शा मुझे अंदेशा-ए-चालाक
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ी
निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
न तख़्त-ओ-ताज में ने लश्कर-ओ-सिपाह में है
ढूँड रहा है फ़रंग ऐश-ए-जहाँ का दवाम
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
एक नौ-जवान के नाम
तिरा जौहर है नूरी पाक है तू
तुझे याद क्या नहीं है मिरे दिल का वो ज़माना
ये कौन ग़ज़ल-ख़्वाँ है पुर-सोज़ ओ नशात-अंगेज़