नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
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कोई देखे तो मेरी नय-नवाज़ी
मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में
मानिंद-ए-सहर सेहन-ए-गुलिस्ताँ में क़दम रख
बच्चे की दुआ
असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद
हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
मिटा दिया मिरे साक़ी ने आलम-ए-मन-ओ-तू
रहा न हल्क़ा-ए-सूफ़ी में सोज़-ए-मुश्ताक़ी
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
एक आरज़ू
ख़ुदी की ख़ल्वतों में गुम रहा मैं
वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है