नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(11181) Peoples Rate This
गर्म-ए-फ़ुग़ाँ है जरस उठ कि गया क़ाफ़िला
मरक़द का शबिस्ताँ भी उसे रास न आया
हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़बाँ हो दिल की रफ़ीक़
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
यही ज़माना-ए-हाज़िर की काएनात है क्या
ख़ुदी के ज़ोर से दुनिया पे छा जा
निकल जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
ये पीरान-ए-कलीसा-ओ-हरम ऐ वा-ए-मजबूरी
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
तिरा अंदेशा अफ़्लाकी नहीं है