फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
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हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से बा-ख़बर हूँ मैं
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
शुऊर ओ होश ओ ख़िरद का मोआमला है अजीब
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
ख़िरद से राह-रौ रौशन-बसर है
ने मोहरा बाक़ी ने मोहरा-बाज़ी
मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
तुझे याद क्या नहीं है मिरे दिल का वो ज़माना