निकल जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Anwar Masood
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3541) Peoples Rate This
ये नुक्ता मैं ने सीखा बुल-हसन से
ये मेहर है बे-मेहरी-ए-सय्याद का पर्दा
ये कौन ग़ज़ल-ख़्वाँ है पुर-सोज़ ओ नशात-अंगेज़
अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा
ख़ुदी की ख़ल्वतों में गुम रहा मैं
अमीन-ए-राज़ है मर्दान-ए-हूर की दरवेशी
यक़ीं मिस्ल-ए-ख़लील आतिश-नशीनी
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
ये काएनात अभी ना-तमाम है शायद
मकानी हूँ कि आज़ाद-ए-मकाँ हूँ?
तराना-ए-मिल्ली
वही अस्ल-ए-मकान-ओ-ला-मकाँ है