अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा
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तू ऐ असीर-ए-मकाँ ला-मकाँ से दूर नहीं
निगह उलझी हुई रंग-ओ-बू में
ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
अमीन-ए-राज़ है मर्दान-ए-हूर की दरवेशी
अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं
वालिदा मरहूमा की याद में
तमीज़-ए-ख़ार-ओ-गुल से आश्कारा
तिरे सीने में दम है दिल नहीं है
जलाल-ए-पादशाही हो कि जमहूरी तमाशा हो
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
हवा हो ऐसी कि हिन्दोस्ताँ से ऐ 'इक़बाल'