Sad Poetry of Alok Mishra

Sad Poetry of Alok Mishra
नामआलोक मिश्रा
अंग्रेज़ी नामAlok Mishra

मैं भी बिखरा हुआ हूँ अपनों में

जाने किस बात से दुखा है बहुत

ज़रा भी काम न आएगा मुस्कुराना क्या

वो बे-असर था मुसलसल दलील करते हुए

उन की आमद है गुल-फ़िशानी है

सवालों में ख़ुद भी है डूबी उदासी

साँस लेते हुए डर लगता है

साल ये कौन सा नया है मुझे

फूल से ज़ख़्मों का अम्बार सँभाले हुए हैं

फिर तिरी यादों की फुंकारों के बीच

मेरे ही आस-पास हो तुम भी

ख़ाक हो कर भी कब मिटूंगा मैं

जज़्ब कुछ तितलियों के पर में है

जाने किस बात से दुखा है बहुत

हम मुसलसल इक बयाँ देते हुए

इक अधूरी सी कहानी मैं सुनाता कैसे

दिल पर किसी की बात का ऐसा असर न था

धूप अब सर पे आ गई होगी

चीख़ की ओर मैं खिंचा जाऊँ

बुझती आँखों में तिरे ख़्वाब का बोसा रक्खा

बुझे लबों पे तबस्सुम के गुल सजाता हुआ

आँखों का पूरा शहर ही सैलाब कर गया

आलोक मिश्रा Sad Poetry in Hindi - Read famous Sad Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by आलोक मिश्रा. Largest collection of Sad Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by आलोक मिश्रा. Share the आलोक मिश्रा Sad Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.