बहुत जी ख़ुश हुआ 'हाली' से मिल कर
अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जहाँ में
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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बे-क़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ
तक़ाज़ा-ए-सिन
मुझे कल के वादे पे करते हैं रुख़्सत
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
यही है इबादत यही दीन ओ ईमाँ
कर के बीमार दी दवा तू ने
है ये तकिया तिरी अताओं पर
बरखा-रुत
रंज और रंज भी तन्हाई का
इश्क़ को तर्क-ए-जुनूँ से क्या ग़रज़
चोर है दिल में कुछ न कुछ यारो
है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ