ख़्वाहिशों की बिजलियों की जलती बुझती रौशनी
खींचती है मंज़रों में नक़्शा-ए-आसाब सा
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
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छूते ही आशाएँ बिखरीं जैसे सपने टूट गए
आईना-ख़ाने के क़ैदी से
फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मत
सिगरेट जिसे सुलगता हुआ कोई छोड़ दे
है नूर-ए-ख़ुदा भी यहाँ इरफ़ान-ए-ख़ुदा भी
अक्सर रात गए तक मैं चौखट पर बैठा रहता हूँ
प्यासों का रिश्ता
तअल्लुक़ तोड़ने वाले
पस-ए-दीवार-ए-शब
जंगल
दोनों का मिलना मुश्किल है दोनों हैं मजबूर बहुत
ऐ अज़ल से....