Heart Broken Poetry of Ameer Imam

Heart Broken Poetry of Ameer Imam
नामअमीर इमाम
अंग्रेज़ी नामAmeer Imam
जन्म की तारीख1984
जन्म स्थानSambhal

वो मारका कि आज भी सर हो नहीं सका

धूप में कौन किसे याद किया करता है

गुम-शुदा

यूँ मिरे होने को मुझ पर आश्कार उस ने किया

वो मारका कि आज भी सर हो नहीं सका

शहर में सारे चराग़ों की ज़िया ख़ामोश है

कि जैसे कोई मुसाफ़िर वतन में लौट आए

ख़ुद को हर आरज़ू के उस पार कर लिया है

कभी तो बनते हुए और कभी बिगड़ते हुए

हर एक शाम का मंज़र धुआँ उगलने लगा

छुप जाता है फिर सूरज जिस वक़्त निकलता है

बन के साया ही सही सात तो होती होगी

अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ

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