Heart Broken Poetry of Ameer Imam
नाम | अमीर इमाम |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Imam |
जन्म की तारीख | 1984 |
जन्म स्थान | Sambhal |
कविताएं
Ghazal 13
Nazam 1
Couplets 9
Love 10
Sad 12
Heart Broken 13
Hope 3
Islamic 2
Social 1
देशभक्तिपूर्ण 1
बारिश 2
ख्वाब 1
वो मारका कि आज भी सर हो नहीं सका
धूप में कौन किसे याद किया करता है
गुम-शुदा
यूँ मिरे होने को मुझ पर आश्कार उस ने किया
वो मारका कि आज भी सर हो नहीं सका
शहर में सारे चराग़ों की ज़िया ख़ामोश है
कि जैसे कोई मुसाफ़िर वतन में लौट आए
ख़ुद को हर आरज़ू के उस पार कर लिया है
कभी तो बनते हुए और कभी बिगड़ते हुए
हर एक शाम का मंज़र धुआँ उगलने लगा
छुप जाता है फिर सूरज जिस वक़्त निकलता है
बन के साया ही सही सात तो होती होगी
अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ