Sad Poetry of Ameer Imam

Sad Poetry of Ameer Imam
नामअमीर इमाम
अंग्रेज़ी नामAmeer Imam
जन्म की तारीख1984
जन्म स्थानSambhal

शहर में सारे चराग़ों की ज़िया ख़ामोश है

पहले सहरा से मुझे लाया समुंदर की तरफ़

न आबशार न सहरा लगा सके क़ीमत

धूप में कौन किसे याद किया करता है

यूँ मिरे होने को मुझ पर आश्कार उस ने किया

शहर में सारे चराग़ों की ज़िया ख़ामोश है

कि जैसे कोई मुसाफ़िर वतन में लौट आए

ख़ुद को हर आरज़ू के उस पार कर लिया है

काँधों से ज़िंदगी को उतरने नहीं दिया

कभी तो बनते हुए और कभी बिगड़ते हुए

बन के साया ही सही सात तो होती होगी

अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ

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