ख़ून-ए-नाहक़ कहीं छुपता है छुपाए से 'अमीर'
क्यूँ मिरी लाश पे बैठे हैं वो दामन डाले
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तवक़्क़ो' है धोके में आ कर वह पढ़ लें
कहते हो कि हमदर्द किसी का नहीं सुनते
ख़ुशामद ऐ दिल-ए-बेताब इस तस्वीर की कब तक
है ख़मोशी ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-देव-पैकर का जवाब
तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
नावक-ए-नाज़ से मुश्किल है बचाना दिल का
कबाब-ए-सीख़ हैं हम करवटें हर-सू बदलते हैं
पहले तो मुझे कहा निकालो
हम-सर-ए-ज़ुल्फ़ क़द-ए-हूर-ए-शमाइल ठहरा
शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ
अपनी महफ़िल से अबस हम को उठाते हैं हुज़ूर
ज़ब्त देखो उधर निगाह न की