तवक़्क़ो' है धोके में आ कर वह पढ़ लें
कि लिक्खा है नामा उन्हें ख़त बदल कर
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Wasi Shah
Gulzar
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मानी हैं मैं ने सैकड़ों बातें तमाम उम्र
शाख़ों से बर्ग-ए-गुल नहीं झड़ते हैं बाग़ में
मुझ मस्त को मय की बू बहुत है
काबा-ए-रुख़ की तरफ़ पढ़नी है आँखों से नमाज़
हम-सर-ए-ज़ुल्फ़ क़द-ए-हूर-ए-शमाइल ठहरा
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को ना-पसंद
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
सौ शेर एक जलसे में कहते थे हम 'अमीर'
कहा जो मैं ने कि यूसुफ़ को ये हिजाब न था
सीधी निगाह में तिरी हैं तीर के ख़्वास
शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ