सब हसीं हैं ज़ाहिदों को ना-पसंद
अब कोई हूर आएगी उन के लिए
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ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
फूलों में अगर है बू तुम्हारी
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
ख़्वाब में आँखें जो तलवों से मलीं
हाथ रख कर मेरे सीने पे जिगर थाम लिया
चुप भी हो बक रहा है क्या वाइज़
अभी कमसिन हैं ज़िदें भी हैं निराली उन की
वाए क़िस्मत वो भी कहते हैं बुरा
ये कहूँगा ये कहूँगा ये अभी कहते हो
अल्लाह-रे सादगी नहीं इतनी उन्हें ख़बर