उलझे हुए साँसों की घुटन कैसे दिखाऊँ
अंदर जो हैं ज़ख़्मों के चमन कैसे दिखाऊँ
यूँ शीशा-ए-दिल संग-ए-हवादिस ने किया चूर
नस नस में है किरचों की चुभन कैसे दिखाऊँ
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
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रात तो काली थी लेकिन रात गुज़र कर सुब्ह जो आई
कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ
दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने चौराहे पर सूली दी है
मैं न कहा करता था साक़ी तिश्ना-लबों की आह न ले
आप की राह में क्या क्या न सहा था हम ने
दर्द बढ़ता गया जितने दरमाँ किए प्यास बढ़ती गई जितने आँसू पिए
मिरी ज़िंदगी का हासिल तिरे ग़म की पासदारी
ख़्वाब जो बिखर गए
ताना-ए-इस्याँ देने वालो एक नज़र इस पर भी डालो
क्यूँ हुए क़त्ल हम पर ये इल्ज़ाम है क़त्ल जिस ने किया है वही मुद्दई
इल्तिजा