ए'तिराफ़

हर शाख़-ए-तमन्ना पर मेरी हर-चंद कि बर्ग-ओ-बार लगे

वो पेड़ जो मेरे नाम का है, हर आँख को साया-दार लगे

पर, एक कमी सी रहती है

कुछ वक़्फ़-ए-तबस्सुम होंट भी हैं, कुछ रस्ता तकती आँखें भी

कुछ वो हैं जिन से मिलने को बे-ताब हों मेरी बाँहें भी

पर, एक ख़लिश सी रहती है

ये दाद-ओ-सताइश के तमग़े, कुछ शेरों पर, कुछ कामों पर

और इतना इस्तेहक़ाक़ भी जो होता है सुब्हों शामों पर

पर, इक महरूमी रहती है

जो इक महरूमी, एक ख़लिश जो एक कमी सी रहती है

वो एक कमी, वो एक ख़लिश, वो इक महरूमी तुम ही तो हो

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Etiraf In Hindi By Famous Poet Anjum Khaleeq. Etiraf is written by Anjum Khaleeq. Complete Poem Etiraf in Hindi by Anjum Khaleeq. Download free Etiraf Poem for Youth in PDF. Etiraf is a Poem on Inspiration for young students. Share Etiraf with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.