ये कैसी बात मिरा मेहरबान भूल गया

ये कैसी बात मिरा मेहरबान भूल गया

कुमक में तीर तो भेजे कमान भूल गया

जुनूँ ने मुझ से तआरुफ़ के मरहले में कहा

मैं वो हुनर हूँ जिसे ये जहान भूल गया

कुछ इस तपाक से राहें लिपट पड़ीं मुझ से

कि मैं तो सम्त-ए-सफ़र का निशान भूल गया

ख़ुमार-ए-क़ुर्बत-ए-मंज़िल था ना-रसी का जवाज़

गली में आ के मैं उस का मकान भूल गया

हर इक बदलती हुई रुत में याद आता है

वो शख़्स जो मिरा नाम-ओ-निशान भूल गया

कुछ ऐसी बात कबूतर की आँख में देखी

उक़ाब ख़ौफ़ के मारे उड़ान भूल गया

मैं सर-ब-कफ़ सर-ए-मक़्तल कुछ इस अदा से गया

कि मेरा दुश्मन-ए-जाँ आन-बान भूल गया

क़बाइल आज भी शीर-ओ-शकर नज़र आते

ख़तीब-ए-शहर मगर वो ज़बान भूल गया

ज़मीं की गोद में इतना सुकून था 'अंजुम'

कि जो गया वो सफ़र की थकान भूल गया

(676) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya In Hindi By Famous Poet Anjum Khaleeq. Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya is written by Anjum Khaleeq. Complete Poem Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya in Hindi by Anjum Khaleeq. Download free Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya Poem for Youth in PDF. Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Kaisi Baat Mera Mehrban Bhul Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.