मिरे जुनूँ को हवस में शुमार कर लेगा
वो मेरे तीर से मुझ को शिकार कर लेगा
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सितमगरों से डरूँ चुप रहूँ निबाह करूँ
यहाँ जो ज़ख़्म मिलते हैं वो सिलते हैं यहीं मेरे
कहो क्या मेहरबाँ ना-मेहरबाँ तक़दीर होती है
बदल चुके हैं सब अगली रिवायतों के निसाब
यही तुम पर भी खुलना है
हर शे'र से मेरे तिरा पैकर निकल आए
ए'तिराफ़
कहाँ तक और इस दुनिया से डरते ही चले जाना
हम अपने ज़ौक़-ए-सफ़र को सफ़र सितारा करें
अब शहर में अक़दार-कुशी एक हुनर है
कार-ए-हुनर सँवारने वालों में आएगा
तहय्युर है बला का ये परेशानी नहीं जाती