उस की तो एक दिल-लगी अपना बना के छोड़ दे
उस की तो एक दिल-लगी अपना बना के छोड़ दे
जाए वो अब कहाँ जिसे सब से छुड़ा के छोड़ दे
खेल नहीं है बद-गुमाँ क़ौल-ओ-क़रार भूलना
फिर से आज़मा के देख याद दिला के छोड़ दे
निभ चुका ज़िंदगी का साथ जब ये अभी से हाल है
बोझ बटाने वाला ही बीच में ला के छोड़ दे
उस से कहें तो क्या कहें जिस के मिज़ाज में ये ज़िद
जब न लगी बुझा सके आग लगा के छोड़ दे
राह तवील पाँव शल और ये हम-सफ़र का हाल
ले तो चले सँभाल के बीच में ला के छोड़ दे
(753) Peoples Rate This