हम को इतना भी रिहाई की ख़ुशी में नहीं होश
टूटी ज़ंजीर कि ख़ुद पाँव हमारा टूटा
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(811) Peoples Rate This
नज़र उस चश्म पे है जाम लिए बैठा हूँ
अयाँ है बे-रुख़ी चितवन से और ग़ुस्सा निगाहों से
फेर जो पड़ना था क़िस्मत में वो हस्ब-ए-मामूल पड़ा
यही इक निबाह की शक्ल है वो जफ़ा करें मैं वफ़ा करूँ
मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने
जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
बग़ौर देख रहा है अदा-शनास मुझे
लालच भरी मोहब्बत नज़रों से गिर न जाए
वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने
हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा
ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी ऐ आरज़ू कितनी
मिरे जोश-ए-ग़म की है अजब कहानी