कुफ़्र क्या तसलीस क्या इल्हाद क्या इस्लाम क्या
तू बहर-सूरत किसी ज़ंजीर में जकड़ा हुआ
तोड़ सकता है तो पहले तोड़ दे सब क़ैद-ओ-बंद
बेड़ियों के साज़ पर नग़्मात-ए-आज़ादी न गा
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1169) Peoples Rate This
नूरा
इलाहाबाद से
ख़ाना-ब-दोश
पर्दा और इस्मत
निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे
एक दोस्त की ख़ुश-मज़ाक़ी पर
जिगर और दिल को बचाना भी है
मजबूरियाँ
बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को
आओ अब मिल के गुलिस्ताँ को गुल्सिताँ कर दें
लखनऊ