Sad Poetry of Aurangzeb

Sad Poetry of Aurangzeb
नामऔरंगज़ेब
अंग्रेज़ी नामAurangzeb

ये बातों ही बातों में बातें बदलना

उस निगाह-ए-नाज़ ने यूँ रात-भर तज्सीम की

निहत्ते आदमी पे बढ़ के ख़ंजर तान लेती है

ख़ुश बहुत आते हैं मुझ को रास्ते दुश्वार से

इश्क़ से मैं डर चुका था डर चुका तो तुम मिले

इश्क़ क्या है बेबसी है बेबसी की बात कर

हवस ने मुझ से पूछा था तुम्हारा क्या इरादा है

अश्क को दरिया बनाया आँख को साहिल किया

अब कोई और मुसीबत तो न पाली जाए

आम रस्ते से हट के आया हूँ

आख़िर बिगड़ गए मिरे सब काम होने तक

आज शब-ए-मेराज होगी इस लिए तज़ईन है

आइने से गुज़रने वाला था

आइना है ख़याल की हैरत

आ कर उरूज कैसे गिरा है ज़वाल पर

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