है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत का
मगर तू एक ही औरत पे इंहिसार न कर
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मैं ने सुनाया उस को जो उर्दू में हाल-ए-दिल
वो साड़ी ज्यूलरी के तहाइफ़ पे थी ब-ज़िद
ऐसे बंदों को जानता हूँ मैं
कितनी मज़ाहिया है ये बोतल के जिन की बात
उमीद
ये दिया मैसेज ट्वीटर पर फ़सादी शख़्स ने
न ये क़ानून काम आया था राँझे के ज़रा सा भी
वे बालों में कलर लगवा चुका है
मैं एक बोरी में लाया हूँ भर के मूँग-फली
ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली