तुम मोहब्बत का उसे नाम भी दे लो लेकिन
ये तो क़िस्सा किसी हारी हुई तक़दीर का है
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पीरी नहीं चलती कि फ़क़ीरी नहीं चलती
चंद क़दमों से ज़ियादा नहीं चलने पाते
ये ख़ज़ाने का कोई साँप बना होता है
किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
दूसरा रुख़ नहीं जिस का उसी तस्वीर का है
ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था
दुनिया के लिए ज़हर न खालें कोई हम भी
तवील उम्र की ढेरों दुआएँ भेजी हैं
तू बात नहीं सुनता यही हल है फिर इस का