दिल से आख़िर चराग़-ए-वस्ल बुझा
क्या तमन्ना ने इंतिक़ाम लिया
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(697) Peoples Rate This
आतिश-ए-इश्क़ जब जलाती है
दिल ने हम से अजब ही काम लिया
ऐ परी-ज़ाद तेरे जाने पर
किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा
तुम को मैं जब सलाम करता हूँ
मान लो साहिबो कहा मेरा
थकन से चूर है सारा वजूद अब मेरा
दास्तान-ए-ग़म तुझे बतलाएँ क्या
मुफ़्लिसी ने जा-ब-जा लूटा हमें
नहीं नहीं ये मिरा अक्स हो नहीं सकता