Ghazals of Balwan Singh Azar

Ghazals of Balwan Singh Azar
नामबलवान सिंह आज़र
अंग्रेज़ी नामBalwan Singh Azar
जन्म की तारीख1986

साक़ी खुलता है पैमाना खुलता है

सच है या फिर मुग़ालता है मुझे

रात दिन इक बेबसी ज़िंदा रही

पाँव मेरा फिर पड़ा है दश्त में

मिरे सफ़र में ही क्यूँ ये अज़ाब आते हैं

लोग भूके हैं बहुत और निवाले कम हैं

क्यूँ छुपाते हो किधर जाना है

जब कोई टीस दिल दुखाती है

हादसा होता रहा है मुझ में

गर मुझे मेरी ज़ात मिल जाए

दो क़दम साथ क्या चला रस्ता

बे-ख़ुदी साथ है मज़े में हूँ

आप-बीती ज़रा सुना ऐ दश्त

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