याद में ख़्वाब में तसव्वुर में
आ कि आने के हैं हज़ार तरीक़
Anwar Masood
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(735) Peoples Rate This
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़
बदलने रंग सिखलाए जहाँ को
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
बेदार नहीं कोई जहाँ ख़्वाब में है
ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़
सच है कि जहाँ में सैर क्या क्या देखी
नहीं ये आदमी का काम वाइ'ज़
सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था
दिल उचकेगी कि बिखरी है अड़ी है
गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो
गरमी इमसाल किस क़यामत की पड़ी