गर्मी इमसाल किस क़यामत की पड़ी
एक एक घड़ी हुई क़यामत की घड़ी
उमडा ये पसीना ये पड़ी धूप कड़ी
बैसाख में लग रही है सावन की झड़ी
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
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Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
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नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम
शैख़ के माथे पे मिट्टी बरहमन के बर में बुत
हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ
याद में ख़्वाब में तसव्वुर में
असरार जहाँ लतीफ़ा-ए-ग़ैबी हैं
हाँ जेहल तुम्हीं से रंग लाया फिर क्यूँ
ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़
वो हटे आँख के आगे से तो बस सूरत-ए-अक्स
कभी हँसाया कभी रुलाया कभी रुलाया कभी हँसाया
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
अदाएँ ता-अबद बिखरी पड़ी हैं