ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
हमारा ख़ूँ तुम्हारी गुफ़्तुगू से
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वो हटे आँख के आगे से तो बस सूरत-ए-अक्स
दिल उचकेगी कि बिखरी है अड़ी है
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
शैख़ के माथे पे मिट्टी बरहमन के बर में बुत
वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है
दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था
नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ
इफ़्लास में क्यूँ टेक्स लगा रक्खा है
हाँ जेहल तुम्हीं से रंग लाया फिर क्यूँ