दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
उठे तअ'ज़ीम दे जोबन किसी का
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खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
सच है कि जहाँ में सैर क्या क्या देखी
शैख़ के माथे पे मिट्टी बरहमन के बर में बुत
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
पीरी की सपेदी है कि मरता हूँ मैं
जो मकतब-ए-ईजाद में दाख़िल होगा
नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम
पार दरिया-ए-शहादत से उतर जाते हैं सर
वो पोशीदा रखते हैं अपना तअ'ल्लुक़
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
असरार जहाँ लतीफ़ा-ए-ग़ैबी हैं
हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ