वो हटे आँख के आगे से तो बस सूरत-ए-अक्स
मैं भी इस आईना-ख़ाना से निकल जाऊँगा
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सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था
ये तासीर मोहब्बत है कि टपका
ऐ तन-परस्त जामा-ए-सूरत कसीफ़ है
यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था
नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम
आएँगे गर उन्हें ग़ैरत होगी
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
बेदार नहीं कोई जहाँ ख़्वाब में है
दिल आया है क़यामत है मिरा दिल
दिल उचकेगी कि बिखरी है अड़ी है
चराग़-ए-हुस्न है रौशन किसी का
हवा-ए-वहशत दिल ले उड़ी कहाँ से कहाँ