अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे

अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे

हर क़तरा-ए-दिल को क़ैस बना हर ज़र्रे को महमिल कर दे

दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ मिरी करना है तो यूँ कामिल कर दे

अपने जल्वे मेरी हैरत नज़्ज़ारे में शामिल कर दे

याँ तूर ओ कलीम नहीं न सही मैं हाज़िर हूँ ले फूँक मुझे

पर्दे को उठा दे मुखड़े से बर्बाद सुकून-ए-दिल कर दे

गर क़ुल्ज़ुम-ए-इश्क़ है बे-साहिल ऐ ख़िज़्र तो बे-साहिल ही सही

जिस मौज में डूबे कश्ती-ए-दिल उस मौज को तू साहिल कर दे

ऐ दर्द अता करने वाले तू दर्द मुझे इतना दे दे

जो दोनों जहाँ की वुसअत को इक गोशा-ए-दामन-ए-दिल कर दे

हर सू से ग़मों ने घेरा है अब है तो सहारा तेरा है

मुश्किल आसाँ करने वाले आसान मिरी मुश्किल कर दे

'बेदम' उस याद के मैं सदक़े उस दर्द-ए-मोहब्बत के क़ुर्बां

जो जीना भी दुश्वार करे और मरना भी मुश्किल कर दे

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