मिरे नाशाद रहने से अगर तुझ को मसर्रत है
तो मैं नाशाद ही अच्छा मुझे नाशाद रहने दे
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पहले शर्मा के मार डाला
अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे
कहाँ ईमान किस का कुफ़्र और दैर-ओ-हरम कैसे
वो क़ुलक़ुल-ए-मीना में चर्चे मिरी तौबा के
कौन सा घर है कि ऐ जाँ नहीं काशाना तिरा और जल्वा-ख़ाना तिरा
शादी ओ अलम सब से हासिल है सुबुकदोशी
हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे
ऐ जुनूँ क्यूँ लिए जाता है बयाबाँ में मुझे
कभी यहाँ लिए हुए कभी वहाँ लिए हुए
मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे
मैं यार का जल्वा हूँ